विपुल
दो बातें अब चर्चा में रहती हैं।
फिल्मों का बॉयकॉट ट्रेंड और जेम्स ऑफ बॉलीवुड नामक ट्विटर हैन्डल ,जो इसी बॉलीवुड बॉयकॉट ट्रेंड के कारण प्रसिद्ध है।इस हैण्डल को कुछ नामी गिरामी हस्तियां चलाती हैं ,इसलिए ज़्यादा प्रसिद्ध हो गया,हालांकि कई लोग बहुत पहले से यही बातें कर रहे थे कि बॉलीवुड का इस्लामीकरण हो चुका है।पठान हमेशा ईमानदार दिखाया जाएगा या बड़ा दादा।
मौलवी शरीफ और पंडित पापी या कॉमेडियन।
मुस्लिम पात्र या तो बहुत अच्छा दिखाया जाएगा या बहुत बड़ा गुंडा या बिल्कुल दुखियारा टाइप।
जबकि खल पात्रों का हिन्दू होना अनिवार्य होता है।मंदिर अनैतिक गतिविधियों के केंद्र दिखाए जाते हैं जबकि मस्ज़िद मदरसे में ऐसा कुछ होता नहीं दिखाया जाता।
बात सही है ,लेकिन इसके अलावा अन्य भी बातें हैं ।
जैसे किसी को एक उंगली दिखाने पर शेष उंगली अपनी तरफ होती हैं ,वैसे सोचें।बॉलीवुड का इस्लामीकरण इतना बढ़ा क्यों ?
बढ़ा क्योंकि हमें पसन्द था।दरअसल हिन्दू समाज में ही इतने तबके हैं जो एक दूसरे को नीचा दिखाना पसन्द करते हैं।
सिखों से बात शुरू करें।
एक किताब थी “हम हिन्दू नहीं “।किसी सिख ने लिखी थी।खालिस्तानियों के पास ज़रूर मिलेगी।
बॉलीवुड में कपूर परिवार का ,चोपड़ा खानदान का बोलबाला रहा।।
अशोक कुमार और देविका रानी के बॉम्बे टाकीज स्टूडियो ,हृषिकेश मुखर्जी ,वासु चटर्जी ,मनमोहन देसाई जैसे प्रोडक्शन हाउस अपवाद रहे।
ये चोपड़ा ,कपूर ,सहगल सब पंजाबी थे और सहज भाव से यूपी बिहार एमपी के लोगों को नीचा दिखाना इन्हें पसन्द था।इनकी रग रग में पंजाबियत भी जुड़ी थी।इनके रिश्तेदार सिख भी थे।
1947 के बाद का मुंबई फ़िल्म उद्योग पूरी तरह से पाकिस्तान के लाहौर या पेशावर या पंजाब से आये व्यक्तियों के हाथों में चला गया था।मुझे पता नहीं कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री मराठी भाषी मुम्बई शहर में क्यों स्थापित हुई ।लेकिन स्थापित होने के बाद इस पर पंजाबियों का कब्ज़ा था और 1960 के दशक के बाद अंडरवर्ल्ड डॉन लोगों का जो ज़्यादातर मुस्लिम थे।
स्वाभाविक था कि न तो पाकिस्तान से आये पंजाबी सिख लोगों में न ही मुस्लिम डॉन लोगों की कोई रूचि थी हिन्दू धर्म के प्रति ।
हिन्दू हमेशा की तरह सहिष्णुता का परिचय देता रहा और जिस फ़िल्म इंडस्ट्री में यूसुफ खान को दिलीप कुमार नाम रखना पड़ गया था, उसी इंडस्ट्री में शाहरुख ,सलमान खान ,आमिर खान न सिर्फ प्रसिद्ध हुए बल्कि हिंदुओं का मज़ाक भी बनाने लगे।
हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को यूपी में शिफ्ट करने की कोशिशें इसलिए असफल रहीं क्योंकि दुबई से मुंबई अंडरवर्ल्ड का कनेक्शन टूट जाता ।मुंबई के तथाकथित स्वर्गीय हिंदू हृदय सम्राट भी इस गुट का हिस्सा थे ,जिनके सुपुत्र और सुपौत्र आपको असलियत दिखा ही चुके हैं।।अभी भी नोयडा में हिंदी फिल्म इंडस्ट्री बनने में तमाम अड़ंगे लगाए जाएंगे।
देख लेना।
चलते चलते एक खास बात
किसी भी बॉलीवुड फिल्म में ड्रग एडिक्ट ,बलात्कारी या बेवड़ा सरदार देखा है ?
इसे कहते हैं इमेज बिल्डिंग ।
विपुल
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