प्रेमिका और पत्नी
आपका -विपुल

ये बहुत गंभीर थ्रेड होने वाली है, इसलिये हल्के दिल वाले लोग इसे न पढ़ें।
ये थ्रेड प्रेम पर,पत्नी पर प्रेमिका पर।
तो शुरुआत 5000 साल पहले सिंधु घाटी सभ्यता के एक विचारक की इस कहावत से कि
-“कभी भी अपनी प्रेमिका से शादी नहीं करना चाहिए और कभी भी अपनी पत्नी से प्रेम नहीं करना चाहिये। “
इस कथन के पहले वाक्य में प्रेम का सार है। प्रेमिका शब्द में प्रेम है। प्रेयसी शब्द में प्रेयस है।
पत्नी शब्द में प्रेम या प्रेयस कहां है?
प्रेमिका को पत्नी बनाते ही प्रेम खत्म हो। जायेगा।
माशूक और बीवी में बहुत फर्क होता है, उतना ही जितना घरेलू बिल्ली और ग्रेट व्हाइट शार्क में।
पत्नी शब्द में प्रेम नहीं। बल्कि इस शब्द में न है।
नकारात्मक शब्द में भी न है।
मतलब पत्नी शब्द एक तरह का नकारात्मक शब्द है जो प्रेम को नकारता है।
ऐसे ही याद आया परेशानी शब्द में भी प है और पत्नी शब्द में भी।
वैसे तो पति शब्द भी उसी अक्षर से शुरू होता है जिससे परेशानी शब्द।
खैर!
परेशानी पति और पत्नी तीनों ही प अक्षर से शुरू होते हैं।
अगर आप गौर करें तो शादी शब्द भी उसी श अक्षर से शुरू होता हैं जिस श अक्षर से शवयात्रा शब्द शुरू होता है।
बुद्धिमान लोग पहले ही कह के गए हैं कि शौहर और शव में ज्यादा फर्क नहीं होता।
शादी प्रेम की शवयात्रा है।
शौहर शव।

प्रेम और शादी दो ऐसी चीजें हैं जो कभी एक साथ नहीं रह सकतीं।
जो व्यक्ति कहता है कि वो अपनी पत्नी से प्रेम करता है, वो भारत के मनोचिकित्सकों के लिये बाद में एक केस स्टडी बन के रह जाते हैं।
शादी में प्रेम मतलब समंदर में शक्कर।
ये संभव ही नहीं।
प्रकृति इसकी इजाजत नहीं देती।
प्रेमिका को पत्नी बनाने की सोचने वाले अगर पागल होते हैं तो पत्नी को अपनी प्रेमिका समझने वाले नीम पागल।
भाई! पतंग हवा में उड़ाने के लिए बनी होती है और नाव पानी में चलाने के लिये।
पतंग को हवा चाहिये, नाव को पानी।
पतंग शौक है, नाव जरूरत।
कुछ समझे?
नहीं भी समझे तो मुझे क्या?
प्रेमिका प्रेम करने के लिये बनी होती है।असली प्रेमिका पर आप अपने तन मन और धन को वारने के लिये तैयार रहते हैं।
ये अलग बात है कि असली प्रेमिका आपके सिर्फ धन में ही रुचि रखती है।
वहीं असली पत्नी वो होती है जिससे शादी करने के बाद आपका तन मन और धन तीनों उसका हो जाता है।आपका नहीं रहता।

जो लोग ये समझते हैं कि ऐसा करना, पत्नी को अपना तन मन और धन देना प्रेम करना है, शास्त्रों में ऐसे लोगों को मूर्ख कहा जाता है।
ये प्रेम नहीं आपकी मजबूरी होता है।
अपना तन नहीं दोगे तो शादी के छह महीने बाद ही आपके परिवार के लोग ही आपकी मर्दानगी पर शक उठाने लगेंगे।
जब उन्हें कोई गुड न्यूज आपकी पत्नी के शरीर से देखने को नहीं मिलेगी।
आपका मन सदैव ही आशंकित रहेगा कि आपके कौन से कांड आज आपकी बीवी पकड़ने वाली है,किस बात पर झगड़ा करने वाली तो 24 घंटे आपका मन आपकी बीवी के अधीन रहने लगेगा।
और धन?

वो तो ऑफिशियली उसका हो ही जाता है।
इसमें प्रेम कहां?
और अगर आप अपनी पत्नी से प्रेम करने लगेंगे तो आपको उसकी फिक्र होने लगेगी और आप सोचेंगे कि बेचारी कितना काम करती है घर का। फिर आप उसकी मदद करने लगेंगे।
फिर वो आपसे काम करवाने लगेगी।
फिर आप अड़ोस पड़ोस में जोरू का गुलाम कहलाये जाने लगोगे और इससे आपकी पत्नी की शान घटेगी।
और फिर वो आप पर मानसिक अत्याचार करेगी जिससे आपकी मानसिक हालत खराब होने लगेगी और आप तलाक लेना चाहेगे।

ऐसे में आपका घर टूट सकता है, इसलिए आप इन सब परेशानियों से बचें और अपनी पत्नी को प्रेम न करें।
बड़े बुजुर्ग झूठ नहीं बोल गए कि पत्नी प्रेमिका नहीं होती।
प्रेमिका से शादी मत करो।
प्रेमिका से प्रेम करो।
शारीरिक मानसिक आर्थिक तामसिक राजनैतिक कूटनीतिक और भौतिक भी।
प्रेमिका से बस प्रेम करो।
शादी नहीं।
शादी प्रेम का अंत है।
दो प्रेमियों की शादी मार्क्सिस्ट विचारधारा वाले लोगों का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल होने जैसा है।
ये गुनाह है।
🙏🙏
आपका -विपुल
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