
डिप्रेशन हल्की चीज नहीं है
प्रस्तुति – विजयंत खत्री
सोशल मीडिया पर लोगों ने डिप्रेशन शब्द को इतना हल्का बना दिया है कि सब अपने आप को डिप्रेशन में ही कहने लगे है, जैसे ये कोई फैशन हो।डिप्रेशन हल्की चीज नहीं है
अरे भाई डिप्रेशन और सैडनेस में अन्तर होता है।
डिप्रेशन एक गंभीर बीमारी है जो ऊपर वाला न करे कि किसी को भी हो।
मेरा ख़ुद का अनुभव बहुत भयानक रहा है।डिप्रेशन एक ऐसी बीमारी है जिसमें हर व्यक्ति में लक्षण अलग अलग होते हैं। किसी मे दिखाई देते हैं और किसी मे नहीं।गंभीर डिप्रेशन बिना दवाई के सही होना लगभग असंभव है।
सबसे खास बात ये है कि जरूरी नहीं कि आप पर कोई आपदा आये तभी आप डिप्रेशन का शिकार हो जाओगे।
डिप्रेशन कई बार जीवन में बिना किसी दुःखद घटना के भी हो सकता है।
डिप्रेशन के लक्षण पहले मानसिक होते हैं फिर शारीरिक भी होने लगते हैं।
डिप्रेशन के कुछ लक्षण आपको बताता हूँ जो मैंने ख़ुद अपने उस बुरे समय में अनुभव किए थे।

1- अगर आप लगातार 1 महीने से ज्यादा समय तक खुद को दुःखी और शून्य महसूस कर रहे हैं।कुछ समय जैसे 2-4 दिन के लिए हम सामन्यतः कभी भी दुखी हो सकते हैं जो कि नॉर्मल है,पर लगातार लंबे समय तक ऐसा होना खतरनाक है, खासकर बिना किसी वजह के।
2- जो चीजे कभी आपको बहुत पसंद थीं उनसे एक दम से अरुचि हो जाना।जैसे क्रिकेट, फ़िल्म, घूमने फिरने जैसे आपके शौक बिल्कुल खत्म हो जाते हैं।
3- नींद बहुत ज्यादा आना या बिल्कुल न आना।मुझे 7 महीने तक बिल्कुल भी नींद नहीं आयी थी।बस 15-20 मिनिट से ज्यादा लगातार नहीं सो सकता था।

3- भूख बिल्कुल न लगना या बहुत ज्यादा लगना।मुझे भूख महसूस होना बंद हो गयी थी। वजन उस समय 72 किलो से सीधा 61 किलो पर आ गया था।
4- आपका आत्मविश्वास बिल्कुल खत्म हो जाता है।आपको अकारण ही अपराध बोध घेरे रहता है।
5-आपका ध्यान ज्यादा देर एक जगह केंद्रित नहीं रहता है।
6- आपकी निर्णय लेने की क्षमता बिल्कुल समाप्त हो जाती है।आप गलत निर्णय लेने लगते हैं।
7- शारीरिक रूप से हमेशा हल्का बुखार, थकान, बिना कारण पेट या सर दर्द रहने लगता है।
8- आप व्यर्थ के कामों मे समय बर्बाद करते हैं।
9- आपको आत्महत्या के विचार बहुत ज्यादा आने लगते हैं।
10- आप बिना कुछ किये, जैसे बिना फोन उठाये एक जगह 24 घण्टे से ज्यादा समय गुजारने लगते हो।आपको समय, तारीख और दिन का भान होना बंद हो जाता है।
11- आप को सूरज की रोशनी से समस्या उत्पन्न होने लगती है।

12- आपको कुछ करने, सोने आदि में डर लगने लगता है। बिना मतलब ही कुछ गलत होने का भान होने लगता है।
13- नींद ना आने की वजह से आप नशीले पदार्थों जैसे शराब, नींद की गोली आदि का सेवन करने लगते हैं,जो शरीर को और अधिक प्रभावित करता है।
14- फिर एक समय ऐसा आता है कि आप को वास्तविक दुनिया और अपनी काल्पनिक दुनिया मे फर्क महसूस होना बिल्कुल ही बंद हो जाता है।
15- डिप्रेशन अगर ज्यादा बढ़ जाए तो अन्य मानसिक रोग आपको घेर लेते हैं।जैसे OCD, Schizophrenia, Bipolar Disorder.
तो कुल मिलाकर बात ये है कि अगर आप दुखी हैं तो उसका मतलब ये नहीं है कि आप अवसाद या डिप्रेशन में हैं।
सैडनेस (अपार दुख)और डिप्रेशन ( अवसाद) में वही अन्तर है जो समान्य जुकाम और कैंसर में है।
आपको जानकर हैरानी होगी, डिप्रेशन का कोई पक्का इलाज नहीं है।इसके लक्षणों को बस कम किया जा सकता है।आधे लोगों मे डिप्रेशन की दवाई असर भी नहीं करती है।डिप्रेशन को अगर दिमाग का कैंसर कहे तो गलत नहीं होगा।ये धीरे धीरे इंसान के पूरे शरीर को बर्बाद कर देता है।
तो आप कभी भी कूल बनने के चक्कर मे ये मत कहिये कि आप डिप्रेशन में हैं।डिप्रेशन एक गंभीर शब्द है।इसे इतने हल्के में प्रयोग मत कीजिये।

नोट – डिप्रेशन से जूझकर बाहर निकले और दोबारा सफल लोगों में से हमारे विपुल मिश्रा भाई जी भी हैं जो अभी के एक्स और पूर्व के ट्विटर पर धमाचौकड़ी मचाये रहते हैं।उनके इतने ट्विटर हैंडल हैं कि लोग भूल जाते हैं कि कब उनका कौन सा हैंडल सस्पेंड हुआ, कौन सा चल रहा।
मेरी उनसे मुलाकात ही हम दोनों के डिप्रेशन रोगी होने के कारण हुई थी।
हम दोनों आपको किसी पेशेवर मनोचिकित्सक की तरह मदद नहीं कर सकते, पर आप हम दोनों के व्यक्तिगत अनुभवों से डिप्रेशन के संबंध में बहुत सी गलतफहमियों से बच सकते हैं।
प्रस्तुति – विजयंत खत्री
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बहुत शानदार विश्लेषण ।
इसे सार्वजनिक मंच पर भी लिखिये
किश्तो में ही सही
आजकल के डूड डूडणी सुबह से शाम तक खाते पीते अच्छा पहनते सब सुविधा होते हुए भी लिखते हैं —-
आयम फीलिंग डिप्रैश्ड यू नो ।वान्ना किलो माइसेल्फ
यू नो । आई फील आयम आउट आफ डिस वर्ल्ड।