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आपका -विपुल

विपुल

डिप्रेशन पर बहुत कम लिखता हूँ लेकिन आज लिख रहा हूँ।
बात हमेशा की तरह यहीं से शुरू होगी कि सारे मानसिक रोगों की तरह डिप्रेशन के भी 3 मुख्य कारण होते हैं
1 -आर्थिक कारण
2 -सेक्सुअल प्रॉब्लम
3 -वंशानुगत कारण
तीसरा कारण बहुत कम होता है इसका कुछ कर भी नहीं सकते जैसे अनुवांशिक गंजेपन का कुछ नहीं कर सकते।
ऊपर वाले दोनों कारण लगभग 90 प्रतिशत केसों के होते हैं।यहाँ ड्रग्स और नशेबाजी वाले बॉलीवुडिया डिप्रेशन की बात नहीं हो रही।
वो डिप्रेशन नहीं बाइपोलर डिसऑर्डर या नशे से होने वाली अन्य मानसिक बीमारियां हैं ,डिप्रेशन नहीं है।
मध्यवर्गीय परिवार के और खासकर शहरी क्षेत्र के सवर्ण परिवार के युवा इस समय डिप्रेशन के ज़्यादातर शिकार होते हैं।ज़्यादातर उन्हें खुद नहीं पता होता कि उन्हें डिप्रेशन है और वो इससे पार भी पा जाते हैं।आर्थिक परिस्थितियां यहाँ महत्वपूर्ण कारक होती हैं।
इस समय जब ऐसे युवा जो ग्रामीण क्षेत्रों के बारे में ज़्यादा जानते नहीं और अच्छे स्कूल कॉलेजों में पढ़ाई के बाद किसी छोटे काम को करने में तौहीन समझते थे ।किसी बड़ी कम्पनी में सीईओ या कलेक्टर या बैंक ऑफिसर बनने का ख्वाब देखते थे, ज़िंदगी की कड़वी सच्चाई से साबका पड़ते ही घबरा जाते हैं जब उन्हें पता चलता है कि फिल्मों में दिखते पुलिस इंस्पेक्टर की ही नौकरी नहीं होती, कॉन्स्टेबल ,होमगार्ड या कुक की भीन
होती है।बैंक में मैनेजर के अलावा स्वीपर भी होता है और ये भी उन्हें नहीं मिलती दिख रही तब घबराते हैं।
व्यापार के लिये पैसा भी चाहिए होता है और व्यापार करना सबके बस की बात भी नहीं होती।इस समय इस घबराए हुये लड़के को नशे ,सेक्स और खेल से राहत मिल सकती है।
मजबूत मानसिकता वाले लड़कों को ज़रूरत नहीं होती ,लेकिन ज़्यादातर को दोस्तों की भी ज़रूरत पड़ती है।
इस उम्र के लड़कों का डिप्रेशन ज़ल्दी ठीक हो सकता है ,ठीक हो जाता भी है।
बस या तो कमाई के अच्छे साधन मिलने पर या शादी या प्रेम।
बाकी ज़रूरत पड़ने पर निसंकोच डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिये।बिना किसी शर्म के।
ऐसे लड़कों को 1 -2 साल के छोटे बच्चों के साथ समय बिताना चाहिए।चंपक से प्लेब्वॉय जो पढ़ना चाहें, धार्मिक किताबों से सविता भाभी तक जो पढ़ना देखना चाहें,पढ़वाना ,दिखाना चाहिये।
खेलों में रूचि जगानी चाहिए।
खेल से बड़ा नशा नहीं होता कुछ।
दूसरा बड़ा डिप्रेशन का झटका एक मध्यमवर्गीय पुरूष को लगभग 55 60 में लगता है।और इस समय के इनके डिप्रेशन का इलाज बगैर डॉक्टर और दवाओं के नहीं हो सकता ।इस लिये इसके बारे में ज़्यादा बात नहीं करेंगे।
तीसरा डिप्रेशन बहुत सी महिलाओं और पुरुषों में होता है जो अक्सर संतान न होने के कारण होता है।कम से कम 20 लोग मेरी जानकारी में हैं जो इलाज़ करवा रहे हैं।संतान न होने के साथ डिप्रेशन की भी।
ऐसे लोगों को धर्म की तरफ झुकाने से बहुत सी समस्याओं का समाधान हो जाता है।
अमीर दिखने के शौक के कारण फ्लैट और कार के लोन की किश्तें भरने वाले अलग तरह के ही डिप्रेशन में रहते हैं ।ये सब कुछ जानते हुये भी कुछ नहीं कर पाते।इन्हें सीधी सलाह डॉक्टर भी यही देते हैं कि खर्चे कम करो ,आमदनी बढ़ाओ।
मेरी भी यही सलाह है।बहुत
अधिक ज़रूरी होने पर ही लोन लें।
अमीर दिखना और अमीर होना दोनों अलग बातें हैं ।ऐसे कर्ज़ के जाल में फंसे लोगों की आत्महत्या की खबर आपको हर दूसरे दिन अखबार में मिलेगी।इनके सही होने में परिवार और दोस्तों का महत्वपूर्ण रोल होता है।ऐसे लोगों को कुछ भी करके बगैर अपने स्टैंडर्ड मेंटिनेंस की चिंता किये अपनी असलियत में आ जाना चाहिए।शहर में ईएमआई वाले
फ्लैट में आत्महत्या से बेहतर फ्लैट बेचकर गांव के मकान में जिंदा रहना है।
और अगर कर्जा उतार पा रहे हैं तो उतारें।लेकिन डॉक्टर की सलाह और दवायें यहाँ भी ज़रूरी हैं ।साथ ही मौजमस्ती भी।

इस विषय पर लोग लिखने से परहेज़ करते हैं। लेकिन मैं नहीं ।
जीवन अनमोल है।
खेल ,सेक्स मनोरंजन या किताबें जो भी चीज़ डिप्रेशन के मरीज को सही कर पाये ।वही उसकी दवा है।
बाकी मनोचिकित्सक से सलाह और दवायें तो अनिवार्य हैं ही।
आपका समय खराब करने के लिये क्षमा प्रदान करें।
🙏🙏🙏🙏

धन्यवाद

आपका -विपुल

विपुल


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