डिप्रेशन -फिर से
लेखक -विपुल
आज फिर से डिप्रेशन की बात कर सकते हैं।गम्भीर विषय है, बहुत गम्भीर।दीपिका पादुकोण या करण जौहर वाले फैंसी डिप्रेशन की बात नहीं कर रहा।आम मध्यमवर्गीय लोगों के डिप्रेशन की बात कर रहा हूँ।
पहले भी बताया था और फिर बता रहा हूँ,डिप्रेशन के केवल 3 कारण होते हैं।
1 -पैसा 2-सेक्स 3 -वंशानुगत कारण ,और तीसरा कारण बहुत कम होता है।
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डिप्रेशन और अन्य मानसिक बीमारियों में बहुत फर्क है।अन्य मानसिक बीमारियों का इलाज दवा से ज़्यादा सम्भव होता है।डिप्रेशन का इलाज दवा से ज़्यादा मरीज के मनमुताबिक माहौल पर निर्भर है।
डिप्रेशन कब होता है ?तब जब आप जो सोच रखे हों, वो हो ना पाए।तभी तो होता है न ?
वैसे किसी के चाहने से उसके मन मुताबिक सब कुछ नहीं होता ,लेकिन सबको डिप्रेशन नहीं हो जाता।
ये नई उम्र के लड़कों लड़कियों में बहुत जल्दी होता है।आप गलत समझ रहे हैं।केवल प्यार मोहब्बत नहीं, कैरियर को लेकर ज़्यादा है आजकल।
तनाव से भरा छात्र जीवन, कोचिंग, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी, सफलता ,असफलता ।इन सब से झेलने को बच्चे तैयार नहीं होते।आजकल के इकलौते बच्चों ने संयुक्त परिवार के संघर्ष भी नहीं झेल होते।मोहल्ले की टीम में 11वें नम्बर की अपनी बल्लेबाजी का इंतज़ार नहीं किया होता है, साइकिल ,टैम्पो से सफर नहीं किया होता है, बिजली बिल, गैस बुकिंग की लाइन नहीं देखी होती है।
वो जीवन के पहले ही झटके में सदमा खा जाते हैं।
कम कमाई वाला मध्यमवर्गीय आदमी जिसे पड़ोसियों की देखादेखी अमीरी झाड़ना है ,वो डिप्रेशन में जल्दी आता है।महंगा लोन लेकर गाड़ी, फ्लैट खरीदने वाले ज़ल्दी डिप्रेशन में आते हैं।
पोर्न देख, यूटयूब देख, दोस्तों की लफ्फाजी को सही मानने वाले लड़के खुद में कमी समझ डिप्रेशन में आते हैं।सब सही होने के बाद भी शादी के अगले 1 2 साल तक बच्चा न होने वाले दंपति में से कोई न कोई एक डिप्रेशन में आता है।
फिर ये सब लोग क्या करते हैं?पहले गम छुपाते हैं ,फिर दुनिया से छुपते हैं।मनोचिकित्सक के पास जाने से डरते हैं कि समाज पागल का ठप्पा लगा देगा उनके ऊपर ।कुछ हिम्मत करके मनोचिकित्सक के पास जाते हैं या जबरिया भेजे जाते हैं।
मनोचिकित्सक सही है तो ठीक ,वरना ब्लैकमेल भी करते हैं और पैसे भी भरपूर लेते हैं।
इस संबंध में बात नहीं कर रहा।मुख्य विषय पर आइये।
सबसे पहले तो खुद मानिए कि आपको दिक्कत है, इलाज चाहिए।
दूसरी चीज बेशर्मी ओढ़िये।आपसे ज़्यादा गलत चीज़ें लोगों के साथ हो चुकी हैं और वो सही सलामत हैं क्योंकि उन्होंने दुनिया के उपहास को वापस दुनिया को लौटा दिया सूद समेत ।
उदाहरण ? राजनेताओं से लीजिए
नाम नहीं लेना चाहता।
बॉलीवुड के उदाहरण हैं।
आप जानते हैं।
खेलों में भी हैं।
तो किसी के द्वारा आपका मज़ाक उड़ाने से पहले खुद का ही मज़ाक उड़ा लीजिए।दूसरे को मौका ही नहीं मिलेगा।फिर उसकी दैय्या मैय्या कर दीजिये।
जानबूझकर कर लड़िये।सही हो जाएंगे।
छोटे बच्चों के साथ बैठिए ,उनसे बोलिये खेलिए ,लड़िये।
सही हो जाएंगे।
कार्टून देखिये, कॉमेडी फिल्म देखिये और अच्छी लगे तो वयस्क फ़िल्म भी देखिए ,सही हो जाएंगे।
केवल एक बात सोचिये, आपके जीने से भले किसी को कोई फर्क नहीं पड़े ,लेकिन आपके रोगी बन के जीने से या मर जाने बहुत फर्क पड़ेगा ।
सोचिये।
लेखक -विपुल
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बहुत सुंदर