भाग -1 काना सर की प्रेमकथा
लेखक -विपुल @EXX_CRICKETER
@Kanatunga सर बचपन मे जिस स्कूल में पढ़ने जाते थे।उसी क्लास में एक लड़की भी पढ़ती थी ।उसका नाम कामिनी था ।स्कूल के पहले ही दिन जब काना सर को उनके पिताजी गरियाते हुए लेकर स्कूल पहुंचे तो मास्साब ने काना सर को कामिनी के बगल में बैठा दिया।
उस समय काना सर की नाक बह रही थी ,जिसे अपनी आस्तीन से पोंछने को काना सर ने अपनी कमीज की बांह उठाई
पर कामिनी जो कि एक रिटायर्ड बैंक मैनेजर की पोती और पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर की बेटी थी ,उसने बोला
शिट!
और अपने सुगन्धित रूमाल से काना सर की नाक पोंछ दी
ये एक लवस्टोरी की शुरुआत थी।
धीमे धीमे काना सर और कामिनी का प्यार परवान चढ़ा ।काना सर के टिफिन का बांसी पराठा कामिनी खाती ।और कामिनी का सैंडविच और चीज बटर स्कॉच काना सर खाते। पूरे स्कूल में खबर थी ।मोहल्ले तक पहुंच गए जालिम जमाना हमेशा प्यार का दुश्मन होता है।
लेकिन काना सर औऱ कामिनी जमाने से टकराये।
जब काना सर और कामिनी कक्षा 5 में थे और काना सर सुबह स्कूल जाने को तैयार होकर निकल रहे थे ,तभी उन्होंने देखा एक फिएट कार उनकी आँखों के सामने से गुजरी
जिसमे कामिनी का पूरा परिवार था।
कामिनी बहुत खुश थी
काना सर को पास में बीड़ी बेच रहे अमानतुल्लाह खान ने बताया
“ये लोग दिल्ली जा रहे हैं।“
काना सर ने सीरियसली नहीं लिया ।सोचा थोड़े दिन में वापस आ जाएंगे ये लोग।ये तो स्कूल पहुंचने पर उन्हें नरेन्द्र ने बताया कि कामिनी के पापा का दिल्ली ट्रांसफर हो गया है।वो पूरी फैमिली चली गई।
काना सर गम में डूब गए।कम से कम कामिनी को तो बताना चाहिए था।उन्हें बड़ा बुरा लगा।
तब उनका गम बंटाया सोनू सूद ने ,जो अभी अभी कुछ किताबें चुरा कर लाया था स्कूल से।जिन्हें भेलपुरी वाले को बेचकर उसे 10 रुपये मिले थे ।और चार आना की भेलपुरी भी।उसी भेलपुरी को आधा खिलाकर सोनू सूद ने काना सर को दिल्ली पहुंचाने का वचन दिया और बस स्टैंड तक ले आया काना सर को।
सरकारी बसों की तो हड़ताल थी उस दिन ।एक नवाब मलिक ट्रांसपोर्ट कंपनी की बस दिल्ली होते हुए मुंबई जा रही थी ।सोनू सूद औरकाना सर दोनों उसी में लद ।लिए हालांकि उस बस में सवारी ले जाने का प्रावधान नहीं था लेकिन पता नहीं क्यों ड्राइवर मान गया ,ये काना सर को आज तक नहीं पता।
काना सर को दिल्ली छोड़ते हुए सोनू सूद मुंबई निकल गया ।इधर कानासर कम चालाक नहीं थे ।अपने शहर के पीडब्ल्यूडी डिपार्टमेंट से पता कर लाए थे कि कामिनी के पापा का ट्रांसफर किस ऑफिस में कहां पर हुआ है ।उस ऑफिस के सामने 3 दिन तक चाय बेची और पीछा कर कामिनी के पापा का घर पता लगा लिया।
काना सर ने जिस चाय की दुकान वाले के यहाँ काम करना शुरू किया था ।उसका नाम नरेंद्र था ।कानासर ने कामिनी के घर का पता लगाया और घर तक पहुंच गए ।कामिनी उनको देखकर बड़ा खुश हुई ।दोनों गले मिले आंसुओं की धारा बह निकली । लेकिन हाय रे जालिम जुल्मी जमाना !
कामिनी की मम्मी ने देख लिया !
कामिनी के पापा बड़ा नाराज हुए और कानासर को अकेले बुला के पूछा ।मेरी बेटी की जिंदगी से जाने के कितने रुपए लोगे?यह लो ब्लैंक चेक !
कह कर उन्होंने एक ब्लैंक चेक कानासर के मुंह पर मार दिया। साइन किया हुआ। बोले
“पैसे लो मेरी बेटी की जिंदगी से निकल जाओ ” |
कानासर गुजराती ठहरे,व्यापारी दिमाग ! तुरंत हिसाब लगाया !
और चेक लेकर निकल लिये।कामिनी के पापा ने ने बताया था कि उनके अकाउंट में 1000000 रुपए है ।कानासर ने ₹999000 भर लिया। 1000 छोड़ दिया ।लेकिन जितना काना सर चालाक है।कामिनी के पापा उससे कम नहीं थे।जब कानासर बैंक में चेक भुनाने पहुंचे ।मैनेजर ने बैठा लिया ,पुलिस को बुला लिया।
कामिनी के पापा भी बैंक पहुंचे ।और उन्होंने पुलिस को बताया कि चेक पर तो उनके साइन ही नहीं है ।और वैसे भी वह अपने इस अकाउंट से सारे रुपए निकाल चुके हैं। पैसे तो अब उनके अकाउंट में हैं ही नहीं ।काना सर हतप्रभ रह गए।जेल जाने का योग था, पर वार्निंग देकर पुलिस वालों ने छोड़ दिया ।क्योंकि
एक तो काना सर का मालिक नरेंद्र बड़ा दबंग टाइप का आदमी था ।दूसरा खुद कामिनी के पापा यह नहीं चाहते थे कि कानासर जेल जाए। कानासर की बड़ी बेइज्जती हुई और वह किसी तरीके से वापस अपने घर पहुंचे ।अब उनके मन में एक ही सनक थी।ज्यादा पैसा कमाने की।पढ़ाई के साथ उन्होंने सट्टेबाजी भी शुरू की।
समय बीता ।काना सर की , कामिनी की पढ़ाई पूरी हुई । काना सर ने गुजरात में इंजीनियरिंग की डिग्री के साथ लंपट बाजी ,छिनरई और जेबकतरी में ग्रेजुएट की डिग्री हासिल की। साथ में इनका साइड बिजनेस सट्टेबाजी का भी चलता रहा।इनकी डीलिंग सट्टेबाजी में मनोज, नयन और खजहर जैसे क्रिकेटर तक थी।
लंबे बालों वाला एक झारखंडी रेलवे टिकट कलक्टर भी इनके गैंग में शामिल हुआ।एक दिन रणजी के एक मैच में सट्टा लगाते हुये ,tv पर काना सर ने कामिनी को देखा।वो एक पुराने ज़माने के बॉलीवुड स्टार की बेटी की कम्पनी के बनाये एक tv सीरियल में काम कर रही थी ।काना सर के दिल मे फिर इश्क का दर्द जाग उठा।
अबकी बार काना सर के पास पैसा था ।उन्हें किसी सोनू सूद के एहसान की जरूरत नहीं थी। उन्होंने पैसे खर्च किया। गुजरात से पैसेंजर ट्रेन पकड़ कर मुंबई पहुंचे ।उसके बाद उन्होंने पता लगाया कि खालाजी टेलिफिल्म्स का ऑफिस कहां है | काना सर के पुराने मालिक नरेंद्र के नेटवर्क देशभर में फैले थे ।
जिस स्टूडियो में खालाजी टेलिफिल्म्स की शूटिंग होती थी, उसके ठीक सामने की चाय की दुकान पर काना सर ने काम शुरू किया। इस उम्मीद में कि जल्दी ही काम में से भेंट होगी ।थोड़ा समय लगा ।लेकिन एक दिन एक शौकीन टाइप का फिल्म प्रोड्यूसर डायरेक्टर कानासर से टकरा गया उसके हाव-भाव कुछ अच्छे नही थे।
हर चीज की एक कीमत होती है।काना सर से अपनी कुत्सित कामवासना की पूर्ति करवाने के बाद ,उस शौकीन प्रोड्यूसर डायरेक्टर ने काना सर को ना केवल कामिनी का फोन नंबर दिया ,बल्कि घर का पता भी बताया और खुद अपनी गाड़ी में कामिनी के घर के बाहर तक छोड़ कर आया।
काना सर ने हिम्मत करके कामनी के घर का दरवाजा खटखटाया। कामिनी बाहर निकली। पहले से काफी ज्यादा खूबसूरत हो रखी थी वो ।दोनों ने एक तक एक दूसरे को देखा।निगाहें मिल ,ओंठ फड़फड़ाए और दोनों एक दूसरे से लिपट कर रोने लगे।आंसुओं की धार बह निकली।
रोते-रोते काना सर की नाक बह निकली ।कानासर ने अपनी आस्तीन उठाई नाक पोंछने के लिए।
कामनी बोली ,
ओह शिट!
और उसने परफ्यूम वाला रूमाल निकाल कर कानासर को दिया ।
दोनों पुराने प्रेमी पुराने दिनों की याद करके बड़ा खुश थे।
लेकिन फिर वही जालिम जमाना !
क्या करोगे इस ज़ालिम ज़माने का ?
कामिनी ने काना सर को बताया कि उसने जुबिन नामके एक पारसी से शादी कर ली है।लेकिन जुबिन का उसकी पहली बीवी से भी चक्कर चल रहा है, इसलिए वो जुबिन को छोड़ना चाहती है और उसके पास अभी सब्जी तक के पैसे नहीं।
काना सर ने कैश 50 हज़ार और 5 लाख का एक चेक उसे दे दिया प्यार में।
कामिनी ने काना सर को कहा कि वो रात 8 बजे उसके घर आये, दोनो भाग निकलेंगे।बुरका भी लिये आना ,सेफ्टी के लिये।
काना सर वायदे के मुताबिक ठीक 8 बजे रात कामिनी के यहाँ पहुंचे
लिपटा चिपटी हुई।कामिनी के लिए काना सर 5 लाख कैश और लाये थे।जैसे ही चूमा चाटी से आगे बढ़ने की बात आई, डोरबेल बजी।
जुबिन आया था ।कामिनी का हस्बैंड। कामिनी ने झटपट कानासर से बुर्का पहनने को कहा ।जुबिन अंदर आया ।
कानासर बुर्का पहन के सामने ही खड़े थे
जुबिन ने पूछा
“यह कौन ?”
“रेशमा !”
“हमारे पड़ोस में रहती है”
कामिनी बोली ,
“घर के काम के लिये अक्सर बुला लेती हूँ।”
“रेशमा !”
“GO TO KITCHEN “
कामिनी चिल्लाई।
काना सर मौके की नज़ाकत को भांप कर, अपनी महबूबा की बात मानकर किचन में चले गए।
वहाँ उन्होंने अदरक काली मिर्च नहीं अपना दिल कूटकर चाय बनाई ।उस चाय में काना सर के आंसुओं का भी स्वाद था, इसीलिए जुबिन को वो चाय बेहतरीन लगी और इनाम के तौर पर उसने 20 रूपये रेशमा उर्फ काना सर को दिए ।
मौका पाकर कामिनी ने काना सर को फ्लैट से निकाला।अगले सन्डे को फिर बुलाया।काना सर अबकी पूरी तरह से तैयार थे।देहरादून की टिकट भी 2 बुक थीं और होटल रूम भी ।लेकिन ढाक के वही तीन पात,।फिर जुबिन आ गया,अबकी तो रेशमा को जुबिन की बनियान तक धोनी पड़ गई।रात में रेशमा कामिनी के किचन में सोई।
किचन में एकालाप करते करते काना सर को कामिनी और जुबिन का प्रेमालाप सुनना पड़ा।आह उह ,हटो ,छोड़ो ,चूड़ियों की खनखनाहट और पायलों की रुनझुन के बीच कामिनी की मंद मंद हंसी की आवाज ,काना सर के कानों में पिघला सीसा उतार रही थी।आज भी वो कामिनी को 5 लाख का चेक दे चुके थे, 50 हज़ार नकद भी।
कुल 16 लाख की चपत लगने के बाद काना सर को एहसास हुआ कि कामिनी उसे बेवकूफ बना रही है। रात में जब जुबिन सो गया और कामिनी ने उन्हें फ्लैट से निकाला ,उन्होंने कामिनी से बदला लेने की शपथ खाई और अपने पुराने यार सोनू सूद से मिले जाकर।मुम्बई में ही था वो।
अर्जुन रामपाल की चरस की दुकान पर ।
काना सर की बातें सुनने के बाद उन दोनों ने कामिनी से बदला लेने का प्लान बनाया।सोनू सूद अब छोटे मोटे रोल करने लगा था फिल्मों में ।वैसे मुख्य काम उसका अभी भी चरस बेचना ही था।एक प्रोड्यूसर की पार्टी से दोनों ने कामिनी का सफलतापूर्वक अपहरण किया और गुजरात ले आये।ये नरेन्द्र का गढ़ था ।
लेकिन काना सर के साथ वक़्त नहीं था।नरेंद्र इस समय गुजरात का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति था।मामले की जानकारी होते ही उसने दोनों को डांटा, कामिनी को छुड़वाया और वापस मुम्बई भेजा ।वापस भेजने के पहले उसने कामिनी को 3 घण्टे पता नहीं कमरे में अकेले क्या समझाया था ?, काना सर को नहीं पता चला।
कामिनी वापस जुबिन के पास।काना सर दोबारा सट्टेबाजी में ।सोनू दोबारा चरस बेचने में ।हाँ नरेंद्र ज़रूर बड़ा बन रहा था अब।
6 7 साल ऐसे ही कटे फिर नरेन्द्र को काना सर की जरूरत पड़ गई।
कारण था अरविंद ।
अरविंद एक घूसखोर आईआरएस अफसर था जो नरेन्द्र को पागलों की तरह चाहता था । एक बार तो नरेंद्र के प्यार में पागल होकर नस तक काट ली थी अरविंद ने।
नरेंद्र गुजरात से देश की राजनीति में आ रहा था ताकतवर बन के ।पर उसने अरविंद का प्रणय प्रस्ताव ठुकरा दिया।खिसियाये हुए अरविंद ने महाराष्ट्र के बूढ़े ठग को दिल्ली में बैठा के नरेंद्र की नाक में दम कर दिया।
नरेंद्र जानते थे काना सर इससे निपटने में सक्षम हैं ,इसलिए काना सर बुलाये ,दिल्ली । बीस टायरा ट्रक से ।
आते ही काना सर ने अरविंद का बॉयोडेटा एकत्रित किया।उसके संगी तोड़े फोड़े।एक काली दाढ़ी वाले बाबा को अलग किया और एक आईटी सेल की स्थापना की जिसका काम अरविंद की बुराई और नरेंद्र की अच्छाई करना था।इधर दिल्ली में ही कानासर की भेंट फिर से कामिनी से हुई।वो इस समय राजनीति में आना चाहती थी ।
काना सर ने अपने मालिक नरेंद्र से बात कर कामिनी को सीतापुर का टिकट दिला दिया।पर उन्हें ये नहीं समझ आ रहा था कि नरेन्द्र और कामिनी एक दूसरे को देख कर मंद मंद मुस्कुरा क्यों रहे थे।चुनाव में कामिनी हार गई लेकिन नरेन्द्र जीत गया।वो बहुत शक्तिशाली हो चुका था ।काना सर उसका दायाँ हाथ थे अब।
लेकिन काना सर और नरेन्द्र की ये गलबहियां अमित से नहीं देखी गईं।अमित एक शराब तस्कर था जो नरेन्द्र के लिये काम करता था कभी ।और बड़ा वफादार साथी था।उसकी घुंघराले बाल वाली एक मलेछ कन्या से गुटरगूं भी चलता था।पर ब्रह्मचारी नरेन्द्र ये सब देख के भी अनदेखा कर देता था।
अमित ने काना सर को उकसाया कि कामिनी के दिल मे अभी भी उसके लिये जगह है ,और वो कामिनि से अकेले में मिले।काना सर का पुराना प्यार जाग गया और वो एक रात कामिनी के घर जा पहुंचे।
कामिनी ने फिर आंसू बहाए, फिर काना सर पिघले ,लेकिन फिर वही समस्या।
जुबिन आ गया, अमित ने चुगली की थी।
वो तो भला हो कानासर के दिमाग का कि बुरका साथ लेकर गए थे वो।सावधानी के तौर पर।
जुबिन ने कामिनी से कहा ,
“ये कौन ?”
“रेशमा है ,थोड़ी मोटी हो गई है।“
कामिनी बोली।
काना सर बुरका में खड़े थे।।
“रेशमा ,”
कामिनी बोली
“GO TO KITCHEN.”
काना सर किचन की तरफ बढ़े ,पर पैर फिसल गया उनका।
काना सर की आँखे खुलीं ,तब उन्होंने खुद को मानसिक आरोग्य केंद्र में पाया।सामने के बेड पर उन्हें एक जाना पहचाना चेहरा दिखा ,जो हर आते जाते से कह रहा था, तुझे घर तक पहुंचाऊंगा दोस्त, बस तैयार है ।एक घुंघराले बालों वाली तोतली लड़की खुद को झांसी की रानी समझ सबसे लड़ रही थी।
एक लंबे बालों वाला लड़का ,कभी खुद को मिथुन समझ रहा था, कभी राहुल गांधी।।
दो तीन ऋषि मुनि का वेश रखे जोकर चिल्ला रहे थे, अब तांडव होगा।एक मोटा लड़का 56 इंच 56 इंच चिल्ला रहा था ।
हर तरफ से आवाज आ रही थी ,देखो हमने एक्सपोज कर दिया ,सहमत हों तो रीट्वीट करें।
काना सर घबरा उठे।
उनसे मिलने कामिनी आई तभी ।कुछ मोटी हो चुकी थी वो।उसने काना सर को खजूर खिला कर विमल गुटखा भी दिया ।और फिर बताया कि अब 2019 चल रहा है।तुम 5 साल कोमा में रहे, इसलिए तुमको यहाँ भर्ती करवा दिया ।ये हमारी पार्टी का कार्यालय है ।यहाँ पर तुम्हें कोई कमी नहीं रहेगी।सुबह की चाय ,ब्रेड,दोपहर को दाल रोटी ,शाम को नाश्ता ,रात का खाना और 2 बीड़ी बण्डल डेली मिलेगा।यहाँ से तुम्हें हमारी पार्टी के लिये ट्वीट करना है ,सबको 2 रुपये मिलते हैं,तुम्हें 5 मिलेंगे।यहां से बाहर मत निकलना, नहीं तो हमारी प्रेम कहानी का पता सबको लग जायेगा ।काना सर को एक आईफोन और एक एंड्रॉयड फोन दिया गया।
कामिनी चली गई ,काना सर को अभी तक इंतज़ार है ,विश्वास है कि उनका मालिक नरेंद्र उनकी सुध लेगा ।कामिनी दोबारा उनसे मिलने कभी नहीं आई।
तब से काना सर को महिलाओं से घृणा हो गई ।उनकी नज़रों में महिलाएं सिर्फ किचन में रहने लायक नासमझ प्राणी हैं।
gotokitchen की यही कहानी हैआपको पसन्द आई तो ठीक, वरना नीचे चीम्स कुछ कह रहा आपसे।
समाप्त
🙏🙏
ये कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है।कहानी के सारे पात्र और घटनायें काल्पनिक हैं |
भी व्यक्ति ,वस्तु या स्थान के साथ इसकी साम्यता केवल संयोग मात्र होगी |
लेखक -विपुल
सर्वाधिकार सुरक्षित -EXXCRICKETER.COM
जबर्दस्त 🤣🤣🤣