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टेस्ट क्रिकेट बेस्ट क्रिकेट
आपका – विपुल

14 जुलाई की रात को दो टेस्ट मैच चल रहे थे। इंग्लैंड के खिलाफ 98 रनों पर 7 विकेट खो देने वाली भारतीय टीम जिसका मैच हारना सुनिश्चित दिखने लगा था, अचानक अपने निम्न क्रम के ऐसे बल्लेबाजों के संघर्ष पूर्ण रवैये के कारण मैच जीतने की हकदार दिखने लगी जिन बल्लेबाजों ने पिछले कई टेस्ट मैचों में चार पांच गेंदों से ज्यादा विकेट पर टिकने का सामर्थ्य नहीं दिखाया था।


वहीं पिछले दो टेस्ट मैचों में ऑस्ट्रेलिया को ठीक ठाक टक्कर देने वाली वेस्टइंडीज टीम मात्र 27 रनों पर आल आउट हो गई।


ये अलग अलग तरह के रोमांच थे।
टेस्ट मैच पहले भी लोग देखते ही थे, पर टी 20 क्रिकेट आने के बाद हर दूसरी गेंद पर गगनचुंबी छक्के देखने से आजिज़ आ चुके क्रिकेट प्रेमियों के एक बड़े तबके के लिये टेस्ट क्रिकेट अब वही चीज हो चुकी है जो हर रोज घर में बनते टिंडे की सब्जी खाने से परेशान हो चुके किसी आदमी के लिये मटर पनीर।
टेस्ट क्रिकेट आसान बिलकुल भी नहीं है।


यहां बल्लेबाज को पॉवर प्ले की क्षेत्ररक्षण पाबंदियों का लाभ नहीं मिलता।यहां गेंदबाज को स्टंप्स के पास में गेंद फेंकने की बाध्यता नहीं होती।यहां एक गेंदबाज के निश्चित ओवर नहीं होते कि दो ओवर या चार ओवर फेंकने के बाद तो ये गेंदबाज दोबारा गेंदबाजी करने आयेगा ही नहीं। यहां नोबॉल की अगली गेंद फ्री हिट नहीं होती।यहां प्वाइंट से ज्यादा गली और स्लिप के खिलाड़ियों का महत्व होता है।
यहां नौ फील्डर लगातार नौ ओवरों तक बल्लेबाज को घेर कर उसपर ताने मार मार के उसका क्रीज पर टिकना मुहाल कर सकते हैं।यहां बल्लेबाज को अजीब से अजीब क्षेत्ररक्षण की रणनीतियां दिख सकती हैं।यहां बल्लेबाज़ को अपने विकेट की कीमत लगानी पड़ती है।

यहां ज्यादातर बार बल्लेबाज के बनाये रनों से ज्यादा उस बल्लेबाज के क्रीज पर बिताये वक्त का महत्व होता है।यहां स्ट्राइक रेट वाली चूरन चटनी कम ही बिकती है।
कई बार यहां 25 गेंदों पर बने 100 रनों से ज्यादा महत्वपूर्ण 100 गेंदों पर बने 25 रन होते हैं। यहां बल्लेबाज को चुनौती होती है कि कब तक विकेट पर रुकोगे?20 ओवर बाद आराम नहीं मिलेगा।
यहां बल्लेबाज की शारीरिक और मानसिक क्षमता दोनों का असली टेस्ट होता है।इसीलिये वही बल्लेबाज महान माने जाते हैं जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में झंडे गाड़े हैं। विव रिचर्ड्स, सचिन तेंदुलकर, लारा, पोंटिंग, संगकारा, द्रविड़, गिलक्रिस्ट,कोहली इन सबका सीमित ओवर रिकॉर्ड भी अच्छा है, पर महान ये टेस्ट क्रिकेट में अच्छे प्रदर्शन की वजह से ही माने गये।
माइकल बेवान, युवराज, साइमंड्स, रोहित ये सब सीमित ओवरों के क्रिकेट के लीजेंड हैं पर इनको महान बल्लेबाज होने का तमगा इसीलिये नहीं मिल पाया क्योंकि ये टेस्ट क्रिकेट में ज्यादा सफल नहीं रहे।

टेस्ट क्रिकेट में सफल होना हर क्रिकेटर का सपना होता है।हर क्रिकेटर जानता है कि टेस्ट क्रिकेट में सफल होने पर ही उसे वो नाम और शोहरत मिलेगी जिसके लिये हर खिलाड़ी लालायित रहता है। निकोलस पूरन, हेनरिक क्लासेन या ऐसे ही और खिलाड़ी भले ही पैसे कितने भी कमा लें लीग क्रिकेट खेल कर, उन्हें कोई याद नहीं रखेगा।
याद तो गिलक्रिस्ट सहवाग और एबी डिविलियर्स ही रखे जायेंगे, क्योंकि उन्होंने आक्रामक बल्लेबाज होने के साथ टेस्ट में भी खुद को साबित किया है।
आज 50 ओवर का क्रिकेट खत्म हो चुका है, उसके दिग्गजों को लोग भुला देंगे। कल टी 20 इंटरनेशनल भी खत्म हो जायेंगे, शायद लीग क्रिकेट बचेगा। पर टेस्ट क्रिकेट को कोई खतरा अभी तो नहीं ही है।


टेस्ट क्रिकेट एक गेंदबाज का भी असली टेस्ट लेता है। आपकी टीम को बल्लेबाजी तभी मिलेगी जब आप और आपके साथी गेंदबाज विपक्षी टीम को आल आउट कर दें, अन्यथा फिर विपक्षी टीम के पारी घोषित करने का इंतजार करने और मैदान में अनिश्चित काल तक फील्डिंग करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता।
टेस्ट क्रिकेट में आपको विकेट लेने ही होंगे।यहां बीस ओवरों या पचास ओवरों के खत्म होने के बाद आपकी टीम की बल्लेबाजी आने की कोई गारंटो नहीं होती। यहां खराब गेंदबाजी करने पर आप ओस आने का बहाना भी नहीं बना सकते क्योंकि एक आध डे नाइट टेस्ट मैचों को छोड़ कर सारे टेस्ट मैच दिन की रोशनी में होते हैं।
टेस्ट क्रिकेट में लिये गये एक एक विकेट की कीमत होती है क्योंकि यहां डेथ ओवर नहीं होते।यहां बल्लेबाज इसलिये अनअलटप्पू शॉट खेल के आपको अपने विकेट गिफ्ट नहीं करने वाले कि गेंदें कम बची हैं और रनरेट बढ़ाना है।


यहां कई बार स्पिनर्स को विकेट खरीदने पड़ते हैं बल्लेबाज को ललचा कर।
यहां पुजारा द्रविड़ या एबी डिविलियर्स जैसे बल्लेबाजों को लगातार गेंदबाजी करते हुये किसी गेंदबाज को डिप्रेशन भी आ सकता है। ये सब ऐसे बल्लेबाज हैं जो असीमित काल तक बिना कोई रन बनाये क्रीज पर टिके रह सकते हैं।
वैसे एबी डी विलियर्स की बात चली तो याद आया उन्हें भी महान बल्लेबाज केवल 360 डिग्री के शॉट्स खेलने के कारण नहीं माना गया।


सीमित ओवर में 100 से 180 तक के स्ट्राइक रेट से खेलने वाले एबी डी विलियर्स ने भारत के खिलाफ भारत में और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया में ढाई ढाई सौ गेंदे खेल कर मात्र 25 -45 रन बनाये हैं और अपनी टीम की निश्चित हार बचाई है या बचाने की कोशिश की है।
रिचर्ड्स सहवाग गिलक्रिस्ट लक्ष्मण पोंटिंग जैसे स्ट्रोक प्लेयर्स भी जरूरत पड़ने पर मैदान में खूंटा बांध के खड़े हुये हैं।
टेस्ट क्रिकेट में बल्लेबाज की रक्षात्मक तकनीक और धैर्य की परीक्षा होती है।
शायद 1987 में चेन्नई टेस्ट में गर्मी में मैच बचाते बचाते ऑस्ट्रेलिया के डीन जोन्स का वजन कई किलो कम हो गया था।


टेस्ट क्रिकेट निचोड़ लेता है। बल्लेबाज को भी, गेंदबाज को भी।
टेस्ट क्रिकेट यादगार मौके देता है। एशेज 2005 की सीरीज हो या गाबा टेस्ट वाली भारत ऑस्ट्रेलिया की 2021 सीरीज।36 आल आउट होने के बाद भारतीय टीम की ऐसी वापसी स्वप्निल ही थी।


कम आंकी जाने वाली टीमों के अपने से सशक्त टीमों पर जीत मजा दिलाती है।
और अंतिम बात –
कोई भी टेस्ट मैच जीतना आसान नहीं होता। यहां 5 दिन में 15 सत्र होते हैं और आपकी पूरी टीम को लगातार अच्छा खेलना पड़ता है, तब जीत मिलती है।।


मात्र एक शतक या एक पारी का 5 विकेट आपको जिता नहीं सकते सीमित ओवर क्रिकेट की तरह।
टेस्ट क्रिकेट में पहली पारी में हारे टूटे और परास्त लोगों के लिये दूसरी पारी में वापसी का मौका रहता है और ये सामान्य जीवन में अपनी परेशानियों से जूझ रहे एक आम आदमी को पसंद आता है।
आपका – विपुल
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