यात्रा वृत्तांत -पहला दिन
सत्यव्रत त्रिपाठी
आवारगी के 68 दिन।
मैं यूँ तो अक्सर यात्रा में रहता हूँ लेकिन वह सब किसी न किसी काम से होती है। अबकी बार मैंने एक अनोखी और बिना काम की यात्रा सोची। मंजिल थी झारखंड भ्रमण और बिना किसी पूर्व परिचित को मिले अजनबी बनकर घूमा जाए। यात्रा एकदम अकेली होगी, जो भी साथी होंगे वो बस कुछ दूर के लिए इससे ज्यादा नहीं। ज्यादातर गाड़ी में सोना होगा। झटपट भोजन के इंतजाम के लिए तमाम इंतज़ाम थे।
रोज एक एक दिन का विवरण यहाँ लिखेंगे।
दिन 1- 16 मई 2022
लखनऊ से बनारस
सुबह भागने की कोई जल्दी न थी इसलिए सब काम आराम से हुआ। इस बार लम्बी यात्रा को एकदम अकेले करना था इसलिए ड्राइवर या कोई अन्य साथी नहीं लिया। करीब 11 बजे दिन मे अकेले ही घर से निकला। भोजन आदि सब घर से ही निपटा लिया था। यूँ तो जरुरी साजो सामान रात को ही गाड़ी में रख दिया था फिर भी 8 बजे सुबह चेकलिस्ट से मिलाकर फ़ाइनल चेकअप किया। सब कुछ यथा स्थान था।
घर से निकलते ही 20 मिनट बाद पूर्वांचल एक्सप्रेसवे आ गया। गाड़ी चढ़ा के क्रूज कन्ट्रोल पर 110 की स्पीड लगा आराम की मुद्रा में आ गया। म्यूजिक सिस्टम पर विंक से गाने बज रहे थे। करीब घण्टे भर में सुल्तानपुर जिला क्रॉस हो रहा था। रुककर पानी पिया हाथ पैर सीधे करने के लिए 100 कदम चल वापस स्टियरिंग पर।
एक्सप्रेस वे पर अभी फूड प्लाजा वगैरा व्यवस्थित नहीं थे। इसलिए सारा सामान गाड़ी में ही था । टोल टैक्स अभी बन रहा था । 4 बजते बजते मैं बनारस शहर में था। डी एल डब्ल्यु गेस्ट हाउस पहुँचने में करीब घण्टे भर और लगे। वहां पहुँच के नहाया ।उसके बाद चल दिये काशी विश्वनाथ दर्शन को।
45 मिनट में मंदिर पहुँच गया। दर्शन के लिए एक सज्जन मौजूद थे। करीब घण्टे भर मन्दिर में रहा।
7बजे बनारस की गलियों में अकेले भटकते हुए यहाँ वहाँ चाट पकौडी खाते हुए मैं 9 बजे गेस्ट हाउस आया। नहाकर 10 बजे तक बिस्तर पर आ गया।
थके होने से नींद आ गई। सुबह 7 बजे बिस्तर से उठा दैनिक क्रिया से निवृत्त होकर 9 बजे संकटमोचन मन्दिर पहुँचा दर्शन किया।
मंगलवार था भीड़भाड़ में अचानक महन्त जी ने पहचान लिया। उनके साथ करीब 30 मिनट लगा ढेर सारा प्रसाद लेकर वापस आया। राम भंडार जाकर जमकर जलेबी,कचौरी का नाश्ता किया। 11 बजे फिर से मैं बनारस छोड़ने की तैयारी में था।
बनारस के बाद की अगली कड़ी कल के भाग में।
सत्यव्रत त्रिपाठी
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