Spread the love

रक्षा सौदे और कूटनीति
आपका – विपुल

भारत पाकिस्तान युद्ध (ऑपरेशन सिन्दूर ) के बीच बात यहां से शुरू करूंगा कि वर्तमान विश्व को तीन चीजें चलाती आई हैं और चलाती रहेंगी।
पहली तेल लॉबी दूसरी हथियार लॉबी और तीसरी दवा कम्पनियां यानी फार्मास्युटिकल लॉबी।
भारत पाकिस्तान युद्ध में कौन कहां खड़ा था ,ये देखने के लिये हम इन तीन चीज़ों को देखने से शुरुआत कर सकते हैं।
भारत ने पिछले 4- 5 साल में जिन देशों से सबसे ज्यादा कच्चा तेल आयात किया है, उनमें रूस पहले नंबर पर है, कुवैत दूसरे, सऊदी अरब तीसरे, यूएई चौथे और संयुक्त राज्य अमेरिका पांचवें नंबर पर।
वहीं पाकिस्तान ने पिछले 3 वर्षों में जिन 5 प्रमुख देशों से कच्चा तेल आयात किया है, उनमें यूएई पहले नंबर पर है, कुवैत दूसरे, सिंगापुर ओमान और चीन क्रमशः तीसरे चौथे और पांचवें नंबर पर।

हथियारों की बात करें तो भारत ने पिछले 20 वर्षों में सबसे ज्यादा हथियार रूस से खरीदे हैं, आंकड़ा 36 प्रतिशत है। भारत के पास जितने हथियार हैं उनके 33 प्रतिशत फ्रांस निर्मित हैं। इसके अलावा भारत अमेरिका इजरायल और जर्मनी से भी हथियार खरीदता है।


वहीं पाकिस्तान के पास 81% हथियार चीन द्वारा निर्मित और चीन से खरीदे गये हैं। इसके अलावा नीदरलैंड, टर्की और अमेरिका से भी पाकिस्तान हथियार खरीदता है।81 प्रतिशत एक बड़ी संख्या है। पाकिस्तान अपने 81 प्रतिशत हथियार चीन से खरीदता है।
फॉर्मा लॉबी की बात बाद में करेंगे।पहले तेल और हथियार लॉबी की बात कर लें।
भारत रूस से सबसे ज्यादा तेल आयात कर रहा है और सबसे ज्यादा हथियार खरीदता है।आप देखिये रूस लगभग मुखर होकर भारत के पक्ष में है। वहीं पाकिस्तान चीन से अपने 81 फीसदी हथियार खरीदता है। और चीन से कच्चा तेल भी आयात करता है। चीन खुल के पाकिस्तान के पक्ष में।
चूंकि चीन और रूस बड़ी शक्तियां हैं इसलिये उतना खुलकर पाकिस्तान या भारत का समर्थन नहीं कर रहीं जितना खुलकर टर्की पाकिस्तान का और इजरायल भारत का समर्थन कर रहा है।
इजरायल भारत को हथियार बेचता है और टर्की पाकिस्तान को लेकिन अभी इनका शेयर कम है। भारत और पाकिस्तान द्वारा हथियारों की खरीद में इसको बढ़ाना मकसद तो है ही।

अब अगर दवाओं की बात करें तो भारत अपनी 70 प्रतिशत दवाओं और उनकी रॉ मैटेरियल का आयात चीन से करता है। शेष 30 प्रतिशत में अमेरिका और रूस हैं। वहीं आश्चर्यजनक तौर पर पाकिस्तान अपनी 60 प्रतिशत दवाओं का आयात भारत से करता है। इसके बाद शेष 40 प्रतिशत में चीन अमेरिका और यूरोपीय संघ के कुछ देश हैं।

भारत और पाकिस्तान के संघर्ष के बीच इस क्षेत्र की दो और प्रभावी शक्तियां हैं जो भारत एवं पाकिस्तान दोनों के लिये मायने रखती हैं।
अफगानिस्तान और ईरान।


अफगानिस्तान में सारा तेल केवल ईरान और उज़्बेकिस्तान से आता है। वहीं अफ़गानिस्तान 96 प्रतिशत दवाओं का आयात भारत से करता है। हथियार अफगानिस्तान के पास अमेरिका और रूस दोनों के हैं।
इसलिये गौर करें वर्तमान अफगानिस्तान तालिबान सरकार पाकिस्तान को ज्यादा भाव नहीं देती जबकि तालिबान का निर्माण ही पाकिस्तान सेना ने किया था।
ईरान के पास खुद का पर्याप्त तेल है लेकिन ईरान अपनी 50 प्रतिशत दवाओं का आयात भारत से करता है बाकी का टर्की और वियतनाम से।
अब ईरान थोड़ी बहुत दवाओं का मैटेरियल चीन से भी लेने लगा है।

ईरान और अफ़ग़ानिस्तान भारत के मित्र नहीं हैं, पर अच्छा ये है कि ये पाकिस्तान के भी मित्र नहीं हैं, न बन सकते हैं।
पाकिस्तान को लगता है कि बलोच अलगाववाद को ईरान हवा देता है जबकि ईरान को लगता है कि पाकिस्तान उसके यहां अस्थिरता फैलाना चाहता है।

अफगानिस्तान का मामला थोड़ा अलग है। पाकिस्तान सेना चाहती है कि तालिबान उनके नियंत्रण को माने क्योंकि तालिबान को पाकिस्तान सेना ने ही बनाया था, जबकि तालिबान अब पाकिस्तान सेना को उसकी औकात दिखाना चाहते हैं। कारण कई हैं। पहला कारण तो यही कि अफगानिस्तान की वर्तमान तालिबान सरकार पिछली तालिबान सरकार की भांति पाकिस्तान की कठपुतली नहीं दिखना चाहती।

ईरान और अफगानिस्तान इस युद्ध में लगभग तटस्थ रहे। चीन टर्की और अज़रबैजान ने पाकिस्तान का पक्ष लिया। इजरायल ने भारत का।

भारत की रक्षा खरीद में फ्रांस से 33 प्रतिशत हथियार आते हैं और रूस से 36 प्रतिशत। दोनों महाशक्तियों ने भारत का न तो खुल के विरोध किया न समर्थन। अमेरिका युद्ध विराम करवाने आया। जर्मनी तटस्थ रहा। बस इजरायल ने खुल के भारत के पक्ष में बात की।
फ्रांस,रूस, अमेरिका, इजरायल और जर्मनी भारत को हथियार उपलब्ध कराने वाले मुख्य पाँच देश हैं।
पाकिस्तान के पास 81 प्रतिशत हथियार चीन से आते हैं, शेष टर्की और नीदरलैंड्स एवम अमेरिका से।चीन और टर्की ने पाकिस्तान का कूटनीतिक तौर पर खुला समर्थन किया।


हथियार सौदे किसी देश की कूटनीति का निर्धारण करते ही हैं।
भारत इस समय रूस ,इराक ,सऊदी अरब , संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका से तेल ले रहा है। इराक को छोड़ बाकी चार बड़ी शक्तियां हैं। अमेरिका और रूस तो महाशक्ति ही हैं। भारत रूस से सबसे ज्यादा तेल ले रहा है, हथियार भी लेता रहा है, तो रूस भारत के खिलाफ व्यावसायिक कारणों से ही नहीं जायेगा। भारत हथियारों और तेल का बहुत बड़ा बाजार है और रूस फिलहाल भारत का, इन दोनों चीजों का, एक बड़ा आपूर्तिकर्ता है।
पाकिस्तान को तेल संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत, ओमान सिंगापुर और चीन से मिलता है। चीन एक वास्तविक महाशक्ति है। चीन पाकिस्तान को बहुत बड़ी मात्रा में हथियार और बड़ी मात्रा में तेल आपूर्ति करता है। चीन पाकिस्तान के खिलाफ नहीं जायेगा।

भारत और पाकिस्तान की सैन्य क्षमताओं की तुलना ही नहीं।
भारत के पास विमानवाहक पोत है, पाकिस्तान के पास नहीं है।
भारत की थलसेना भी पाकिस्तान से बहुत बड़ी है।
पाकिस्तान की वायुसेना जरूर भारत से थोड़ी ही कम है। पर पाकिस्तान के पास भारत के जैसा S – 400 वायु प्रतिरक्षा प्रणाली नहीं है। पाकिस्तान के पास भारत जितनी अचूक मिसाइलें भी नहीं हैं, ब्रह्मोस जैसी।

चलते चलते एक बात जरूर कहना चाहूंगा।
भारत अभी एक महाशक्ति नहीं है। इसलिये ये अमेरिका और रूस के खिलाफ नहीं जा सकता। चीन से प्रत्यक्ष युद्ध से बचना चाहेगा।
भारत महाशक्ति क्यों नहीं है,इसकी वजह बताऊं?

सुनिये! महाशक्ति वही देश कहे जा सकते हैं, जिनके पास खुद का कच्चा तेल पर्याप्त मात्रा में देश में ही या किसी उपनिवेश में उत्पादन होता हो। दूसरा जिनके पास लंबी दूरी की मिसाइलें हों और उनके हथियार उनके देश में ही बनते हों।
तीसरा, उनके पास संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वीटो पावर हो , चौथा उनके पास इतनी नौसैन्य शक्ति हो जो किसे भी अंतर्राष्ट्रीय समुद्री मार्ग पर कब्जा करने को पर्याप्त हो और पांचवां ये कि उनके देश में ही सारी महत्वपूर्ण दवाओं का उत्पादन होता हो।

अमेरिका, रूस ,चीन ,फ्रांस और ब्रिटेन अपने खुद के हथियार बनाते हैं, इनके पास मजबूत नौसेना है, इनके पास लंबी दूरी की मिसाइलें हैं, इनके पास संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वीटो पावर है , इनके यहां सारी दवाईयां बनती हैं और सबसे बड़ी बात!
इन पांचों देशों में या इनके उपनिवेशों में इनकी जरूरत से ज्यादा इनका खुद का कच्चा तेल उपलब्ध रहता है।
इसलिये ये सब देश महाशक्ति हैं।

भारत के पास खुद का तेल और दवायें नहीं हैं । भारत तेल और दवाओं का आयात करता है।भारत के पास संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वीटो पावर नहीं है। भारत के पास लंबी दूरी की मिसाइल नहीं है।भारत की नौसेना अच्छी है पर अमेरिका, फ्रांस ब्रिटेन, चीन और रूस की नौसेना की टक्कर की नहीं है।
और सबसे बड़ी बात!
भारत अपने ज्यादातर हथियारों का आयात करता है। अभी भारत में हथियार बनने शुरू हुये हैं, पर गुणवत्ता नहीं देखी गई।
अर्जुन टैंक सालों से बन ही रहा है। तेजस विमान भी सालों से बन ही रहे।
मशीनगनों का भी आयात ही होता है।

इसलिये भारत को विश्व रणनीतियों में अमेरिका रूस फ्रांस और ब्रिटेन छोड़ो, चीन के आगे तक थोड़ा संभल के रहना पड़ता है।
मेरे इस पूरे लेख का लब्बोलुआब ये है कि आपकी कूटनीति का निर्धारण आपके रक्षा और तेल सौदों से होता है।
अक्सर वो देश आपके पक्ष में खड़े मिलेंगे जिनसे आप हथियार और तेल खरीदते हैं।
देखिये, मैंने अक्सर लिखा है, हमेशा नहीं।
कूटनीति में एक एक शब्द महत्वपूर्ण होता है।

आपका- विपुल

सर्वाधिकार सुरक्षितExxcricketer.com

exxcricketer@gmail.com


Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *