विपुल
रामायण में दो व्यक्ति अत्यंत महत्वपूर्ण हैं लेकिन उनका उल्लेख बहुत कम है।
1 -अगस्त्य ऋषि
2-बाली
पहले बाली पर बात करें।
किसी भी दशा में ये सम्भव नहीं था कि किष्किंधा में बाली जैसे शक्तिशाली सम्राट के होते हुये लंका के राक्षस अयोध्या के निकट तक इतनी सहजता से पहुंच पाते और
किष्किंधा के उत्तर जनस्थान पंचवटी में अपना सैन्य अड्डा स्थापित कर पाते ।लेकिन राक्षसों ने ऐसा किया ,इसका मतलब बाली ने उन्हें सहयोग भी किया और निकलने का रास्ता भी दिया होगा।इसके एवज में रावण ने ज़रूर उसे कुछ लालच दिया होगा।बाली द्वारा रावण को हराने की कहानी क्षेपक ज़्यादा लगती है।
राम मदद के लिये सीधे बाली से मिल सकते थे ,बाली ने कहा भी था लेकिन राम को पता था कि बाली रावण के ज़्यादा निकट है ।
किष्किंधा दरअसल लंका और अयोध्या के शक्तिशाली राज्यों के बीच एक बफर स्टेट जैसा था जिसका झुकाव लंका की ओर ज़्यादा था।बाली अपनी सत्ता ऐसे ही बचाये हुये था।
बाली को मारकर राम के एक पंथ दो काज हुए।अब गद्दी पर सुग्रीव आये जो अयोध्या नरेश के एहसान तले दब चुके थे। और अब किष्किंधा को लंका की जगह अयोध्या की तरफ आना ही था। रावण का एक प्रभावी साथी भी राम ने खत्म कर दिया था।ये रावण को एक संकेत भी था।
अब अगस्त्य मुनि की बात।
अगस्त्य ऋषि शायद उस काल के सर्वाधिक महत्वपूर्ण ऋषि थे वशिष्ठ और विश्वामित्र से भी ज़्यादा।
ये दक्षिण दिशा के वनों में रहते थे और जैसा कि अनुश्रुति है।विंध्य पर्वत को पार करके दक्षिण जाने वाले पहले ऋषि।
इनके बारे में दो अनुश्रुतियां प्रचलित हैं।
विंध्य को पार किया, समुद्र पी गये।
तमिल भाषा के व्याकरण के जनक अगस्त्य ऋषि ही माने जाते हैं।जिन राक्षसों का आतंक अयोध्या की सीमाओं तक आ पहुंचा था, वो राक्षस जनस्थान के निकट दंडकारण्य में रह रहे अगस्त्य ऋषि का न कुछ बिगाड़ पाते थे ,न ही उन्हें अयोध्या या किष्किंधा से मदद की दरकार थी।इसलिए प्रभावी तो रहे ही होंगे।
राम के वन में आने के बाद उनका एक सूत्री कार्यक्रम शायद अगस्त्य ऋषि से मिलना ही लगता था ,शायद इसी वजह से रामायण में अगस्त्य ऋषि से मिलने के बाद किसी अन्य प्रमुख ऋषि से मिलने का वर्णन नहीं है।
अगस्त्य ऋषि की ही सलाह राम को पंचवटी में रहने की थी जहाँ शूर्पणखा उनसे मिलने आई।
रामचरित मानस में इसका उल्लेख नहीं है पर वाल्मीकि रामायण में है कि राम रावण युद्ध के एक रोज पहले अगस्त्य ऋषि राम से मिलने आये ,आदित्य हृदय स्त्रोत का उपदेश दिया।
कुल मिलाकर अगस्त्य ऋषि और बाली दो विपरीत विचारधाराओं के प्रतिनिधि उस काल के दो बहुत महत्वपूर्ण व्यक्ति थे ।
राम राम
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विपुल
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