लाश की कहानी
लाश की कहानीद्वारा - विजयंत खत्री विजय पूरा दिन ड्यूटी करके आ कर, खाना खा कर, नहा कर बस सोने की तैयारी ही कर रहा था कि फोन की घंटी बजी। फोन उठा कर देखा तो थाने के हेड मोहर्रिर का फोन था। विजय का माथा ठनक गया। ये आज…
लाश की कहानीद्वारा - विजयंत खत्री विजय पूरा दिन ड्यूटी करके आ कर, खाना खा कर, नहा कर बस सोने की तैयारी ही कर रहा था कि फोन की घंटी बजी। फोन उठा कर देखा तो थाने के हेड मोहर्रिर का फोन था। विजय का माथा ठनक गया। ये आज…