साकेत अग्रवाल
कोरोना, वैक्सीन और दुष्प्रभाव
पिछले दो-ढाई सालों में आसपास घटे घटनाक्रमों के आधार पर कह रहा हूं कि कोरोना वायरस के कारण लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता तो कमजोर हुई ही है| साथ ही साथ इस वायरस और इसके बचाव हेतु लगी वैक्सीन ने शरीर के अन्य अंगों के काम करने की क्षमता को भी नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है। यहां तक की हड्डियों तक पर इसका दुष्प्रभाव देखा जा सकता है।
एक सज्जन को जानता हूं जिनकी आयु 61 वर्ष है उन्हें एक दिन चलते-चलते यकायक धुटने में दर्द होता है| डॉक्टरी सलाह पर X-RAY, CT-Scan, MRI आदि जांच कराने के बाद उनके घुटने की हड्डियों के बीच में गैप बता दिया जाता है। वे सज्जन न तो कहीं गिरे, न उन्हें कोई ठोकर लगी और न ही अन्य कोई दुर्घटना उनके साथ घटी| इसके बाद भी उनके घुटने में गैप आ गया। डॉक्टर भी बताने में असमर्थ रहे कि ऐसा क्यों और कैसे हो गया।
जम्मू के एक 20 वर्षीय कलाकार का वीडियो हम सबने देखा कि मंच पर प्रस्तुति देते हुए कैसे उसका देहांत ह्रदयाघात के कारण हो गया।
आप भले ही मुझे महामूढ़ कहें, भले ही मुझे अवैज्ञानिक विचारों वाला करार दें पर मेरे मतानुसार ये सब दुष्प्रभाव है कोरोना वायरस (Covid 19) का, कोरोना वायरस से बचाव हेतु लगी वैक्सीन का। मैं मानता हूं कि हमारे खान-पान, रहन-सहन, खराब दिनचर्या के कारण हमारा स्वास्थ्य प्रभावित हुआ है परंतु 20 वर्ष की आयु इतनी बड़ी आयु नहीं है कि इस आयु वर्ग के बच्चों को ह्रदयाघात एक सामान्य घटना मान लिया जाए। मेरा मत है कि कोरोना वायरस की वैक्सीन ने हमें कोरोना की महामारी से तो बचाया लेकिन कोरोना और कोरोना की वैक्सीन के कारण मानव शरीर के अंदरूनी अंग न केवल कमजोर हुए बल्कि उनमें विभिन्न व्याधियां भी उत्पन्न हो गई जिसके बारे में संभवतः अभी तक चिकित्सा विज्ञान को भी नहीं पता है और यदि पता भी है तो उन्होंने इसे सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं किया है।
“वैक्सीन से व्याधियां”? वैक्सीन से अंग कमजोर? तु मूर्ख है क्या? पागल तो नहीं हो गया? लिखने को मिल रहा है तो कुछ भी उल्टा-सीधा लिखेगा क्या? कुछ भी हवा-हवाई बातें करेगा क्या? अबे तेरे सामने तो राहुल गांधी ज्यादा बुद्धिमान लगने लगा है। मुझे पता है कि मेरा लिखा पढ़कर ये विचार आप लोगों के मन में अवश्य आए होंगे। हो सकता है आप लोग सही भी हों लेकिन मेरा एक आग्रह है अपने घर-परिवार में, आस-पड़ोस में लोगों पर और स्वयं पर दृष्टि बनाए रखिए, समझने का प्रयास किजिए कि कोरोना और कोरोना की वैक्सीन लगवाने के बाद क्या आपकी और उनकी कार्यक्षमता में अंतर आया? क्या आपको अथवा उनको अब पहले की अपेक्षा अधिक “खीझ” आने लगी है? पहले की अपेक्षा अब अधिक आलस्य तो नहीं बना रहता? यदि आपके उत्तर “हां” में हो तो अब आप समझ पाएंगे कि ये सब कोरोना का, कोरोना वैक्सीन का ही दुष्प्रभाव है।
और यदि आपको उतर “न” में मिलते हैं तो भगवान का धन्यवाद दीजिए, आभार जताइए। मुझे क्षमा कीजिए कि मैंने आपका मूल्यवान समय नष्ट किया। फिर भी एक चिंतन अवश्य करिएगा। कोरोना काल के बाद ह्रदयाघात के कारण बहुत लोगों की मृत्यु के समाचार आए। इस पर चिकित्सा विज्ञान ने कोई शोध किया कि ऐसा क्यों हो रहा है? वैक्सीन जब अंडर ट्रायल स्टेज में थी तब क्या इसके दुष्प्रभावों के बारे में चिकित्सा विज्ञानियों को पता नहीं चला? यदि पता चला तो दुनिया से उसे क्यों छिपाया गया? क्या वोट बैंक की राजनीति के चलते वैक्सीन के महत्व को बढ़ा चढ़ा कर बताया गया और इससे होने वाले दुष्प्रभावों को छिपाया गया? कुछ ही वर्षों के भीतर आपको सुनने मिलेगा “कोरोना वैक्सीन जनित बीमारियां”।
सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया। सर्वे भद्राणि पश्यंतु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।।
साकेत अग्रवाल
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Brother u r spot on !! I totally agree with u, even i was feeling the same ..i have taken all the 3 doses of Covid 19 vaccine and now i can feel the difference in my body . Some unknown type of lethargy has sneaked in to my body, temperament has become some kinda irritating otherwise i would be calm n composed irrespective of situation , i thought there is some kind of lack of minerals n vitamins in body so i started multivitamin / calciferol etc supplements. I believe this is all s8de effects of covid 19 which i got infection during 2nd wave and the related vaccines. M in my 2nd half of 30s.